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समरसिंह ने मुसलमान सुलतान को प्रसन्न कर च निकाला। बादशाही मुस्तान मे संघ की बड़ी सहायता की। समर सिंह ने ऐसे साम्प्रधिक समय में इंजय तीर्थ का उद्धार कर आमिाथ की प्रतिमा स्थापित की और जूनागढ़ प्रभार पट्टय आदि अनेक ऐतिहासिक स्थानों की यात्रा म समरसिंह पाटण लौट आये। राम कटी ने अनेक ऐतिहासिक घटनाजों का रास में उल्लेख यिा है। कवि ने पासह, मुन्तान भीम, मतपमान, मीर भातिक पाहिदर मालिक मावि ऐतिहासिक व्यक्तियों से रास का सम्बन्ध स्पष्ट किया है।
रचना का बस्तु वर्णन भाग में विभक्त है। मुनि जिन विषय बी मे इसकी संख्या ही बताई है और श्री बलाल ने भी इसे वावरी भाषा ही कहा है" इन भानों का विशेष अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि संभवतः कवि ने इनका विभाजन ईदों के आधार पर किया है क्योंकि हर भाषा में वैविध्य है। माया समाप्त होते ही परिवर्बम हो जाता है इस दृष्टि से पाठ का अध्ययन करने पर भास होता है कि इसे १२ भाषा के स्थान पर १३ माों में विपक्त होना चाहिए। क्योंकि वारी माग की कड़िया एक ही छैद में चलती है जिसको के०का. शास्त्री ने विपदी या मानव का है। पर उसके बाद गावापापा दोहों रखी गई जिस स्वर के गायों का बीन बार भावी मिळवा इस बबन पाग को भी भाषामा ना सका है।पापा मारकीरा मिला प्रकाश धर्म परिव सूचक है।
कवि भारदीन और मीरा की प्रथा डोस की कवि को वर्ष गाविप बाबिक
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१-प्राका - बाप कवियो।नी के०का नास्त्री..in