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दो मिलते ही पर भूलमा छंद विशेष शिल्प के साथ बर्षित हुआ है। यह छंद २० मात्राओं के चरणों का मिलता है इसमें दो कड़ियाँ होती है जिसमें एक दोहा व दूसरी कोई विपदी होती है। छंदों के क्षेत्र में इसका मौलिक योग दिखाई पड़ता है। बीच बीच में जो बार बार पदों का प्रवर्तन होता है वह द को लयात्मक बनाता है। इससे इस राम की यहा जन्म प्रालित स्पष्ट होती है। एक उदाहरण देखिए.
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