SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 326
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दो मिलते ही पर भूलमा छंद विशेष शिल्प के साथ बर्षित हुआ है। यह छंद २० मात्राओं के चरणों का मिलता है इसमें दो कड़ियाँ होती है जिसमें एक दोहा व दूसरी कोई विपदी होती है। छंदों के क्षेत्र में इसका मौलिक योग दिखाई पड़ता है। बीच बीच में जो बार बार पदों का प्रवर्तन होता है वह द को लयात्मक बनाता है। इससे इस राम की यहा जन्म प्रालित स्पष्ट होती है। एक उदाहरण देखिए. मीवर त डिव रहिजै जै गुरु सिदिचाहिं चंडी 'विसहक भाव परिवलि जे लषीउ प लबीर कपडी उ परि डा मिल्हि करि हो गए योग धालीन चतु पढे मिलीउ र गिलीउ ए गिलीउ छाल पुर्यगो पाउ पिल्लिवि समुहीम डर डरं थीउ माधो जोवहार सवि मतीय जीवई यहीवडई पहीया पडीउ दाधी बउ गरि मूकीउ रम हरण कीधा सीड करालो भाषा इरि पीउ रिसीउ प इरिसीर परिसीर मयक सबालो' मा इससे पूर्व भीम रवि जिनावर र विवान राबी भिखा, मिका मला म मिा वा और को • पररोवर बाकी , Ma r at मामानीमा मिति मे मा का वर्णन करने परपरा नि तिमी क्यिा मे। -शिरि पर परिणीयो बीबी सायमिन राजी ___ धमीय रोह निवारी मार, गवार मा गिरिantan
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy