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माधार भी इस इष्टि से किसी निश्चित परिणाम पर नहीं पहुंचा। बस्तु रचना के स्थल चरित नायक ऐतिहासिक वातावरण TT उलास एवं प्रशंसात्मक वर्णनों के देखकर यह कहा जा सकता है कि या तो इसकी रखना किसी संघाधिप द्वारा या प्रातिलक सरि के ही किसी मंतरंग शिष्य इवारा हुई होगी। ___कमली रास पक ऐतिहासिक पीति रचना है जिसमें बाइ का अबलेश्वर जैन मन्दिर, चंदावली, कोरिटवड आणि वैन तीर्थों का वर्णन है। साथ ही आधु के अनलकुंड व परमारों का वर्णन पी कवि ने किया है। कोई क्या विशेष महीं। कम्ली ग्राम में उत्पन्न श्री उपीड मरिका पराम्प और गैर्य वर्णन है। धार्मिक दृष्टि से मछली प्राय का महत्व स्पष्ट किया गया है। साथ ही कवि में संघ वर्णन यिा है जिसमें प्रभावित हरि प्रमुख पात्र है। उदयसिंह ने सिंघनिकाल पंप बंद्रावली गगा, वही सावन के पुत्र कमल मूरि की दीवा इई और जब कोरिन्ट बह स्थान पर प्रशातिलक के क्सिी शिष्य विशेष ने रास रचना की होगी।
स्था की दृष्टि से इस धि का कोई विशेष महत्व नहीं क्या में कोई नवीनता भी नहीं मिलनी पर मापा की और दो की इष्टि रखना महत्वपूर्ण है। कवि मंगला बरक र ण यिा वागार निवार और अनियमित बीवन यापन करने
वाला कवि
मेवा पुगीन मिया मातील मान उपरि मीर बबmme maratधि मिलिग बालवीय की मार विधि । साइन्टिक मिलता है ।यो दोहा चौपाई बादि
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