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तहि वरति जायव कुल को डि सहि रमति कीली बढ़ि सागपुरी इन्द्व सन काल, गव न जागड कित्रित काल नेमि कुपए अन दिया रमं गउहरि आउई साल भमंतउ संधु लेपि लीला वाई, सब सब्दि सिहयण सोमेड In || तुमणि पपणा कण्हों, किछ बाय संस
पति अमेय नरिदा जिज बलुज असंतु तो भयभीर भगइ हरि रामह भाउ नहिय बास इह ठाया लेखाइ नेमिकुमक तह र हा हिया धसका भन्' विविध रूपों में कवि ने नेमिनाथ की राज्य के प्रति निर्मित का वर्णन किया है। विस्य पुओं के प्रति के सदा उदासीन रहे।
राम भनाइ पन करइ बिसार, रतु न लेसह दुख कुवि भाउ र संसारु विरत जिमेस मुक्ख सुक्न करिवउ परमेसर रख सुक्न करि पुष्ट सुकाइ धौर नरइ सो निबड़ा निन्छ। पुर्षवि भागइ हरि रामह अगगह, बंधब गय ह पुङ वि समग्रगाह अतुल परिक्षण मेमिकुमार लेसिहरन्तु न पिइ सहा राम जबइबा पड़ियोडेड शह कारण र केह
इक्षा प्रदिपर्व कृषिगाडि हि किम बिन मोह 10-m विविध हटानों कार ने मामा के भावपूर्ण बना विवाये रचमान निकाय के विवाद पर ला है। उन की लकी रायक को रोटी गेह मैमिनाथ बीतीनी बनमय। विपिनी राम निरविरहिमी कम गई। मायामों का मन मना नहीं सा गया जो बरातियों केपी लिए किसान
पारसकार इमार तोरण पर आये पिमा परी मारे मनों को प्रमाडीम कर दिया- पाती राजीव कविन वर्षनीय है। अकरम की टा स्थल कबील भार का शिा -
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.. हिन्दी सीलन वर्ष .
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