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तइभब व तत्सम शब्दों की उल्कानित स्पष्ट है। प्रयुक्त राजस्थानी और गुजराती के बदबों में भी नवीनता का प्रयोग है। मासु, परव, सूख, मामिथि, उजिल, अंबर, पाज, गिरनार, पाव, धरिउ, पासाट, मठाई, मीह दी अगुण आदि। कुहा अब्दों का विशेष विश्लेदन देखिए
काव्य की दृष्टि से इस जाति का अपर्व महत्व है। बास्तव में संस्कृत साहित्य की इम्टि में भी हम इस काव्य में उच्च कविता दे सकते है।इसमें कुरा अब्द चमत्कृति और कुछ अर्थ चमत्कृतिवाली कविता है। यह विद्वान लेखक श्री गस्त्री का विचार है। इस प्रकार धार्मिक स्थल, धार्मिक विस्य तथा आध्यात्मिक संदेश पूर्ण रचना होते हुए भी इसमें साहिरियकता भौर निमरी काव्यात्मकता का उम्मेद है।
नेमिनाथ रास:
वीं ताब्दी का महत्वपूर्ण रास नेमिनाथ राम है। इसके रचियता श्री सुभविगवि है। यह रास एवीं सताब्दी की उत्तराईध का है इसका रका कास - है। विषय मेन मूरि के रेवगिरि राम के पहले ही इस रास की रचना जोगी। मीकि राम की महिमयिकीय रनामों की ना
वहीर पडते रवी या प्रतीत होगाकवि अगायिका निवार स्थान राजस्थानी गायक पिपाणी वर माली टीमगर।
प्रोगam स्वाध्याय पुस्तक में उपलब्ध मा। और प्रति और
गरम दोनों बाधार परी का पालम्यानमिति कवि की बीर भी अनेक रना होगा, कोमामी नई प्रमी होती है।
मापना कीमतीकापीमाती. दी सरीन,. ....
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