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की विविध उपलब्धिओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अपशके उत्तरकाल में लोक भाषाओं और विभिन्न देशीय बोलियों में साहित्य सृजन बड़ी क्षेत्री होमा प्रारम्भ हो गया था। लोक भाषाएं साहित्य के क्षेत्र में इतनी शीघ्र क्यों प्रतिष्ठित Tई, उनमें स्ती सरसता और शक्ति इसनी बीघ्र क्यों आ गई उनका साहित्य इतना अधिक लोकप्रिय क्यों मा, उत्तर अपस में हिन्दी तथा अन्य लोक भाषाओं के विकास का प्राचीन स्वरूप में विद्यमान रहा आदि प्रश्न विचारणीय है।
विवेच्य युग का नामकरण
(अ)- बीरगाथा का
आर्य राबन्द्र शुक्ल ने इस काल को कीरगाथा का रखा है तथा इसकी अवधि 1.५ से. तक रक्सी है। अक्ल जी को जिस काल में किन्हीं विशेष प्रवित्ति-मूलक बनामों का प्राइ मिला उसे एक प्रकारे में स्वीकार कर लिया था उसका नामकरण भी रचनाओं की उक्त विशेष प्रवृत्ति के अनुसारी किया। उन्होकि भयो । वि सिी काल में मार म की रचना १०, और .
कम से मिलती है विटंग की पुस्तके प्राव उनकी प्रवरना कही जायगी यड्यपि म पुस्तके मिलकर संख्या में है।"
दूसरा बापार बों को प्रशिक्षित है। विकास के पीर जिसमाप प्रवृत्ति प्रति यस प्रकार प्रब उसका बाव माने बाग किरो और अनेक प्रकार के निध और साधारण कोटि के भर उबर पर । बार में प्रशिक्षित मी किसी गडकी लोक प्रवृत्ति का परिषदेती है।
समाचारों पर बीमा विपापन कर इस कार का नामकरण पौरमाथागत यिा।
..देसिए हिन्दी साहित्य इतिहास भावार्य राम
, माया