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चौपाई अहिल का ही दूसरा रूप है:चंद्रचूड विजजा हर राउ, तिथि वातइमनि बहइ बिसाउ हा कुल मैडल ! हा कुलवीर हा समरंगणि वाइस चीर' वस्तु एक प्रसिध छंद वस्तु का भीप्रचुर प्रयोग मिलता है।
५ चरणों के इस छंद में नीचे के दो चरणों की मात्राएं तो दोहे की ही २४ होती है। नीचे के दो चरम लगता है कि दोड़े की ही भांति है
राज जब राज जंप सुनिि
tes #ड भूमि सरह मरह राज अम्ह सहोदर
मंत्र महाधर मंडलिय, मौउर परिवार
सामवह सीमा सह कहिन सुकुलविचार
अंतिम दो चरम बिल्कुल दोड़ा ही है। इसके प्रथम चरण में अंत में
) और
१३ १५ १८ मात्रा होती
२
१५ मात्राएं वितीय चरन तथा द्वतीय चरणों में हैं। मात्राओं की कुल संख्या ११९ है । प्रथम चरण की सात मात्राओं की प्रायः आवृत्ति कर दी जाती है। उस अवस्थामें प्रथम चरण में २२ मात्राओं हो जाती है बद पर विचार करते हुए एक वसरे विश्वान ने इसका संस्कृत नाम वस्तुक या वस्तु तथा वपण नाम बम या वच किया है इसका दूसरा नाम रहा भी है। दवा में इसके अनेक वेद किए गए है। प्राचीन राजस्थानी साहित्य में विशेषतः जैन बाहित्य का इसका प्रयोग हुआ है।"
चउपड़
इदों के अतिरिक्त गीन पोटक या इस छंद के
व निवासियों का प्रयोग भी हुआ है: ही होते है
वर वर वर वीरवार मंडलीय मिडिया जान ही गंग मान
मंगळ मावि गायिका गिरि गृह गुम गुमई चम चीन पर नकुल गिरि कम कपड़े
१० नही ५० १८ पद ९३ (२) देvिe राजस्थान भारती (३) मरतेश्वर बाली राम श्री गाडी ३० १८ मद ९
४१, परिि