________________
२०८
उत्कृष्ट वीर काव्य है, जो आदिकालीन चारणशैली में गम काव्य की सरस वीर गाथात्मक सुकमा प्रस्तुत करती है।कृति का गय पर्याप्त प्रवाह पूर्ण है। aafterशैली की काव्यात्मक शैली होती है औरअचल दास की यह वचनिका प्राचीन राजधानी के मध्य के सौन्दर्य को वाणी देने वाली अनूठी कृति है जिसकी कथावस्तु ऐतिहासिक है। रचना की कथावस्तु एवं काव्य सम्बन्धी यों पर विस्तार में विचार इसी अध्याय के पूर्व पृष्ठों में किया जा चुका है। यहा इसके गद्दय भान का ही मूल्यांकन प्रस्तुत किया जायगा। अचलदार बीबी री क्वनिका में ठीक उसी प्रकार का गय भाग मिलता है, जैसा पद्मनाभा छत काम्हड़ देनबन्ध-महाकाव्य में बीच बीच में गइ भाग मिलते हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि कदाचित रचना में पद्य और गम वैलियों में वस्तुवर्णन या कथा वर्णन करने की यह प्रवृत्ति उस काल में वर्णन की एक विशिष्ट शैली ही रही होगी।
अचलदास बीबी री वचनिका का गद्रय भाग भावात वलेवा बिरदानकी आदि शीर्षकों के अन्तर्गत लिया गया है प्राचीन राजस्थानी के प्राचीन जैन जैन कवियों द्वारा प्रणीत बात और वयनिका शैली का यह साहित्य इतना afe है कि इस पर कई थ लिये जा सकते हैं। में कृतियों बाद बाद मीर क्वनिका नाम है यारों की संख्या में उपलध होती है तथा शा राजस्थानी साहित्य की वही तीनों माय, यात मीर क्यनिका काव्य या है जिनमें महाजन किया गया है।
काडीची री वनका 'गम और काव्य दोनों मों में महत्वपूर्ण है। कवि ने इस वीर वाकाव्य को जिस प्रकार काव्य में संजोया
१- माहीची दरी मनिका की मीति-अचल दास बीची री बात" कृति मी है इसका विवरवन्दराजस्थान के हस्तलिवित प्रथों की बोज माग में भी मोतीलाल मेनारिया ने भी अपने ग्रन्थ राजस्थानी गावा औरसाहित्य पृ० १०० पर इसका किया है।ना की या बढी है। एक दो उचरण इस प्रकार है:(अ) बचत भर का उत्तरविन पूरब बकिम का विवाह माझ्या अजयपाल कारी रावन मावि बरन छाया सावर
पाने का बाधारे माळ करवाता हो राजा हे०आगे सुपर-