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________________ वेगा जी ने गाय गोणो अगी राज में साश्या पाया जायेगा और धारा बाकर पीड़ा को कामो कोणर से बलावेगा और यूं जमा सातरी रीजो कोई में राजयान बाद जो अभी परवाना री कोई उसंगम करेगा जीने श्रीपक लिंग जी की भाप है। पंचोली जानकीदास। धन् र किम १९.९० . १२९॥' (२) महाराज वी सिंहः * श्री श्री दलील महाराचं धीराज में हिन्दुस्थान राजधान संपरी नरेस पुर बदली नात श्री श्री मान रान वीरान श्री पृथ्वी राजी घुसाधन बावारण मी कोष घनं त्रि अप्सनम ने काकाजी नं. के दुवा की गाराम बमोजीन के राज में रोकड रुपीमा ५०.) तुमरे वाहाती गोड़े का परचा सीवान मामे मान से इनको कोई माफ करेगे बीनको मेरको के अर्थकारी हो गई । हडमेत रामा मन् ११३८ विक्रम सं. m+.. . इन दोनों दान पत्रों को श्री हरिऔध जी ने अपने अन्य हिन्दी भाषा और साहित्य विकास में उपत किया हैपरतु दोनों की मात्रा में मिानों की बोली के प्रयोग तथा उदयपुर के आसपास बोली जाने वाली बालीन राजस्थानी भाग पनि बाइनिक मामानों के प्रयोग कर इन बाम पना के बारे प्राचीनता पर विश होनेलमा उपाय होने के गरम जमको कहा नान कर दिया मासा मिला माना पाक कमि है। वीं वादी रोमाद हमारी इस्टि गोरनारे गड्य पर मह पाती है बाबा की मेनी हो . मासपाय के प्रभाषा गड़ा १. रिती-हिन्दी भाषा और रित्य का विकासादिवतीय संस्करण) २८-२९ ist
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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