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५. जीपे चास, जीमें चालत आछ। - ना सूचन
-- हा मा, काने मुण, बोले बोलाये ले पायगा। २. (अ) के ईहा काह पढ, को को पद
(4) कार रक्षको कह कर का
(स) का का वि का पास हापठ - पृ० १०-११) ....अब जस धर्म बाद मुबयु पाप पाट
१. पाहा नाही वर्ष नांद बाबाहा पाए मान्य मादि उदाहरणों में प्राचीन गद्य के उदाहरण मिल जाते है जो आदिकालीन गद्य रचनाओं की प्रष्ट भूमि निर्मित करने में सहायक सत्य है। इनउद्धरणों के अतिरिक्त प्राचीन राजस्थानी भाषा में वीं वादी राजरानों के शिलालेख भी उपलब्ध होते है जिनमें दो प्रमुख दानपत्रों को ही रख दिया था रहा है। वे दानपत्र रावल समर सिंह और महाराज पृथ्वी सिंह के है तथा दोनों कासमय क्रमशः पन् ११०१ व सन् १७८ है।पामा प्रवी प्राचीन राजस्थानी है। रावल समर सिंह और पृथ्वी सिंह के दोनों दान पत्रों के उद्धरण क्रमशः इस प्रकार :राल समरमिक- स्वस्तिकी वीकोट पाराजाधिराज रावती रानी
श्री नरसिंह की बनाइ दाबमा प्राकार गार पी
सन की बेलायतीराव गोषवारी लेबमा पोषय पर पानी पारी मोनाना पारा चरा टाक्ष मोमो चाना नहीं और भारी बैंक की में ही पी प्रमाणे
परणाम बरोबर गरम देगा और धारा 4 सपूत मूब शेवामा मामा स्तिव्यक्ति प्रकरण:प्रकाशक सिंधी के बाला
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