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सत्यपुरीय महावीर उत्साह- रचना स्थान- प्राप्ति स्थान- कथा भागकृति का ऐतिहासिक महत्व- साहित्यिक मूल्य वस्तु विवेचन- सत्यपुरीय महावीर उत्साह की भाषा- कुल उदाहरण- राजस्थानी- तत्सम रूपों को उदाहरण- देशी भाषाओं- साहित्य का महत्व- प्राचीन राजस्थानी जूनी गुजराती- अथवा पुरानी हिन्दी की महत्व-गीत जिनपति सूरि धवल गीत(हरयम) - भत्तर- मधुविंदु गीतपद- स्थूलिभद्र गीतम् - श्रीवयर स्वामी गीतम् - स्तोत्र - चउनी सजिन स्तोत्र नेमिनाथ पाव पूजा स्तोत्र-पंच कार नमस्कार तीर्थ-स्तवन- चतुर्विंशतिजिम स्तवन स्तंभने पार्श्वनाथ स्तवन
(प्रथम, द्वितीय)- श्री सीमंधर स्वामी स्तवन- कलश- श्री चन्द्रप्रभ स्वामि कलश- शान्तिनाथ क्लव- आदिनाथ क्लव- महावीरकला- बोलिका वासुपूज्य बोली-आदि नाथ बोलिका-जिन प्रबोध सूरि बोलिका - श्री जय आदिनाथ बोली- नेमिनाथ बोली स्तुति- मेमिनाथ स्तुति- विरहमान स्तुति- विनंतीमहावीर वीनंती- श्री वीतराग विनंती- श्री गिरनार मन्डन बीनती इनका काव्यात्मक महत्व-निकर्म - (०२३१-२८७ १ १
अध्याय-९
कालीन हिन्दी जैन साहित्य (४) गढ़न परम्परार्थः
विषय प्रवेश- मक साहित्य की प्राचीनतम रचनाओं का प्रेम अदिकाल को
काल के विभिन्न स्त्रोत, विनाथ जैन- जैन मदृय परंपरा - १४वीं are की जिन प्रथरि कुर्त रचना में देशी भाषा में बार नाविकाओं के संवाद- गूजरी, मालवी एवं पूर्वी नाविकाओं के संवादों के उद्धरण पूर्वीभाषा के साथ सब कालाध्य तथा उसकी प्राचीनता जैन रचनाओं का कालक्रम-वर्गीकरण १- मारम्भिक काल ( सबै १०००-१४००) (अ) प्रारम्भिक रचनाये (ब) परवर्ती रचनाएं (२) विकास काल (सं० १४००० १५००), (१) मम (१) गद्यकाव्य, प्रारम्भिक काल त्या उसकी रचना-आराधना बाल लिए, विचार