________________
१३९
अपायक रचनामों में प्रधानतः तीन रसों का ही वर्णन मिलता है।
(1) शान्त, (३) वीर और
गत रस अपभ्रंश रखनाओं का स राज है। शेयरों में कमि ने यौवन में *गार, सुदध में वीर तथा त्याग वैराग्य और सम में निर्वेद आदि रसों की निपारित की है। इन रचनाओं की भाषा ध्वन्यात्मक, माछ, प्रीन, असल सरक्स तथा भावनापूर्ण है। अकारिक औजना भी पूर्णतया वैशामिक है। उपमान में भी कवियाँ मे परम्परा और कदि को तो था लोक जीवन में पुले र उपमानों,आवृति मूक सरस अनदो तथा लोक प्रबलियाबरों का भी प्रयोग किया । मत: और कवि यदि एक ओर धार्मिक और उपदेश प्रधान है तो दूसरी तरफ हो कि जीवन के परिष्कावित स्वाभाविक अनुभूतियोरभी मुदत है। अत: अपज की ये रचनाएं पाय और कला दोनों ही पलों में उत्कृष्ट है।
-