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(११) सुदर्शनदेठ शील प्रबंध
हत्य
१५वीं वादी की इस कृति में कवि ने जाठ कर्म, बारक द्रव, नौ पट कर्म, पूर्व भय गुण प्रेमी संसार नश्वरता, सम्यक शील, प्रत्यक्ष परोवे तथा मुक्ति केसों को जनता में प्रचारित किया है।
(११) कुमाल -
इस कृति में साथमा की विविध स्थितियाँ, तप विशिखा, धर्मोपाख्यान urereen freeमा दृष्टि राग आदि बिया मिल जाते है। (१३) विहंगति चौपाई
प्रस्तुत रचना संसार की नश्वरता, कर्म, दापोह तथा भवलिति के प्रति करारा व्यंय है। आध्यात्म जीवन और आत्मा के प्रति राग को स्पष्ट करना इसका है। स्मों द्वारा प्राप्त विविध नरकों का वर्णन परलोक की स्थिति स्पष्ट
प्रमुख
करते हैं।
(१४) विक्रयाविलास चवाड़ों और पद बाट पारित दरा
इन दोनों रचनाओं में विविध मों से पाये कष्टों, पूर्व भव दृश्यों. दीवा वार की नश्वरता का महिंदा, वान्ति और आध्यात्म चिंतन का उल्लेख है। इस प्रकार अनेक कृतियों में साहित्य के माध्यम से कम भावा में इन रचनाकारों में बैन धर्म का प्रचार किया है। कवि धर्म प्रचारक भी है और कवि बाद में इस दार्शनिकों की ट को करने के लिए इन कवियों मे तर राम, रामों या विविध इष्टान्तों से arter se महत्व र क की मोर माय इन सब कृतियों की प्रवरा है। प्रकारावर से या निर्वेद को किया है। कार वीर बादि रवों का जम में समाहार इनों का अध्ययन इन रचनाओं द्वारा किया वा
माध्यम का है।
एवं दीवित हो ।
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