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गजानेट के विचार उल्लेखनीय जन धर्म पर्व दर्शन का प्रणयन इन प्रधी में ही नहीं निता श्री मिलता है। मोरिलों में अपने अन्य में इन शिला लेगे का पर्याप्त विवेचन किया है। बस्तु पुरानी हिन्दी वा अपरितर रचनावों में भाये विधान्तों का परिचय दिना रहा है:(1) निवास रिमा
पाकी .की इस बना गुरु का पात्य स्पष्ट होता है। म -बिगुरु की बाना और स्तुतिको काम आवश्यक समय में इस साधन मगुरु का स्थान पाना मा RT है। (परतेश्वर भाइमली राम
मिकी - Puी रखमाबाद, गाया और भन्यमत्व या सारी मारा और रायबका वर्णन यिा गण याबाद भी इसमें देखा वा मा । (a) मनवाला राम
मा वि पाना भी दिया और बारह बत, प्रथा रोकायाापूना की वर्णन मिलता है। 10 मिमा माि
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