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प्राचीन अवशेष को मिलते है पर मयावधि प्राचीन साहित्य की कोई रचना उपलब्ध नहीं हो सकी।
इस प्रदेश में पर्याप्त प्रगति की। मुबालियर के कि विशाल जैन पूर्तियों की लता या प्राचीन रामपानों का, जैन धर्म भूचित करती ।वी रवीं ग्वादीमारी के सा राजा जैन धर्म के अनुयायी थे ऐसा मातोशकों का मन का सम्बन्ध राष्ट नरेशो से था। जो जैन धर्म के उपासक है। बारी की राजधानी विपुरी और पुरनी पी जैन अवशेषों लिए प्रसिदध है। पर या अनेक जैन नी । स्वागिरि मर और पेलया ग वीनगर प्रमियी ।
अप नी सिप प्रसिद्ध है। वराहों जैन मन्दिर नीम के प्रतिरिक्त देवगड मागिर, बोनागिर और अनगिरी भनेक वैनियों की भी बादी बध्य प्रदेश में जैन पद प्रमति
पर उत्तर प्रदेश तरा इस प्रदेश मी मावधि मंडारों में कोई तीन कपमा नहीं हो सकी। वस्तुतः इन देशों की बगेर होगा
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निमय,.५४-५६, प्रो. रामा ल्यापी आसरा