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(१) बीचक कंद की अवर योजनाਰਨ ਤਾਰਨ ਸਨ
१००५
(२) वोटक्छंद की अवर योजनाmohr Bohr moht aahr
(३) माराय है की अक्षर योजना
गर लग लगा कर लगेर उमेर लगेर र
(४) फूलवा छेद की अवर योजना
१- वही, पृ० ११२३
के नही, पू० ११३
४- देवि-प्राचीन मराठी इन विया का
६० बी० ३०* वहीं ०४
८ नहीं ० -१ १- वही,
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ਨਾਲ ਨ ਲ ਨ ਸੇਨਨ ਅਨ ਰਸ ਗਤ
*
इसी प्रकार इन छेदों का भी पाठक ने वैज्ञानिक विश्लेषण किया है। छंदों के एक दूसरे मालोचनात्मक ग्रन्थ में श्री पाठक ने मात्रा बंदों का स्वरूप : मंत्र के para बन्धों में प्रयुक्त यों का विश्लेम, देशी छेदों का स्वरूप, उनकी परम्परा ८, बीमाई, रोला, सबैमा तथा अन्य छेदों की परम्परा और विष प्रस्तुत किया है। इस आलेचनात्मक ग्रन्थ ने देवी दों के इतिहास में अपूर्व योग दिया है।
अक्षर संख्या
देवीदों का स्वरूप स्पष्ट करते हुए श्री पाठक ने अनेक महत्वपूर्ण बाय पर प्रकाश डाला है। देवी ढाल गरमी पदकभादि की सामान्य सी में
१३-१००/
PPR
३१
१- वही पृ० ११३ ४- वही, पृ० ११३
श्री राकारका विश्वनाथ पाठकः प्रकाशक दावा १९४८।