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(10- हरिगीतिका
यह छंद पंच पान्डब चरित रामु व्यभि ५ के १८-४१, ३५१, तथा १५५ में प्रयुक्त हुना है।प्राकृत पिंगल में इस मात्रावृत्त के लवण दिए हुए है।' उसके अनुसार इसके प्रत्येक पब में २८ मात्राएं तथा इसका ( N++++++4+दो मात्रा) २८ मात्राओं का मात्र विज्ञान है मह ईद केवल पंच पान्डव चरित रास और सोपजर की रमा बरतरगच्छ पट्टावली में ही मिलता है- उदाहरण
तुरक पायक सायक सरियां मुड चर्म हि फोडई सरा मज मानिई रथ स्व रब ना पनी तुरम सि पुरये रथ मांडणी
इस प्रकार इसमें ११ १२ पर यति तथा अन्य (5) नमन आवश्यक है इसकी गति प्रत्येक चरण की नीं, वी, १९वीं या सी मात्रामों को लघु रखने से ठीक रहती है।
या पात्राओं का दवथा प्रयुक्त देशी वों में मौलिक है।यह व विध देशी वा उपलबन्दीतियों में मेलवनमावि विरशिकी किनोदय हरि विवाद- नाम का मिलता है। इस गव्य में
कड़ी) मा (४-१८) पाबाइकमा (-४) मा में लिपी गई है।पा के बर बस्तु (८ ,११,११,१८,, प्रवक्ता हुवा है।
बाबा सबो पल्टी बार इसी दिने प्रल हुमा या समकालीन मकैन समामी की उपलब्ध नहीं होता। ग्वार देखि
पाहवाइ बहीणि गाडि धारक कम वर परिणय कार
१- दैशिषः प्राज -m बाबाओरिन्टकीरीज सी०१८
यही माटा-पु. १०