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________________ (१२) वस्तु, वनि २ में मिश्रबंध में (विपदी चौपाई) व्वणि (१-५) में देशी सोरठा तथा दोहा, चौपाई, रोला वस्तु व्वणि ६ में विषम चरण चौपाई तथा सोरठ्ठा (अ) सोरठा (ब) सोरा ११६ 1 समचरण में दोहा तथा अन्त में गेयता के लिए पकार का प्रथम देवी सवैया की ४ कड़िया फिर दोहा के समचरण में ४ चरण तथा १ हरिगीतिका । इसमें देशी ढाल (३२८-३२५, ३४२, १४९, ३५६-३६३ में (१५ + १३) मात्राएं मिलती है। यह बाल सरस्वती चवल नाम से है तथा भरतेश्वर बाहुबली रास में पद १४४, ४६, ४८, ५० और ५२ में तथा जयवेवर के त्रिभुवन दीपक प्रबंध में सरस्वती कल के नाम से मिलती है। उब ि७ मैं (१३+११) का देशी खोरठा मिलवाई। जिसमें प की आवृत्ति है। सोरठा की यह देवी रेवंतगिरि राहु में भी प्रयुक्त की गई है।" इससे १२८८ से पूर्व मी स्पष्ट होता है कि देशी छंदों कीयहदेशी विक्रम २० प्रसिद्ध थी। यही सोरठा की देशी डाल मरारा प्रयुक्त होती है। (१३७७) में भी वाडव चरित राम की ७वीं व्वपि में यह छंद प्रयुक्त हुआ है। यह छेद दौड़ा का बिल्कुल उल्टा है तथा (११ + १३) मात्राओं का होता है। प्राकृत मिंगल में बोटुका बाग जं दोहा विवरीय जिम पत्र जमक reate nars कि इसके लक्ष्य दिए है। बसोरठा से साम्य रखता है। एक उदाहरण देखिए मह मूरति णि अविष्य की तू मोटी मुकानि तुम्ह सम तुम्हार डई बराड़ ह (११) (te पाडव चरित रा इस राय की पि ९ में प्रत्येक १६ मात्राओं की बौपाई है तथा १० से १५ क रोहा चौपाई और मस्तु का संयोग है। १- समरार डी - माया स्व देखिए प्रा०यू० का संग्रह । पी० १८.०३५४ प्राचिन ३० २८१-८०१
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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