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________________ पक्तियों में, पिनेश्वर मूरि वीवाडला मवस्तु एव के साथ भूलवा, समरारा (पापा ८ मैं भूलगा की कड़ियों का एक पद (1) जिमोदय मूरि विवाहल में (बड़ी २०- , -९ तथा ४-५४ तक ७ मात्रानों का भूलवा ) प्रयुक्त पूजा । यह छंद जैन कृतियों मत मौलिक वाला है। इसके प्रत्येक चरण में 10 मात्राए होती है तथा १७, , पर यति होती है। यह सम भाषिक वृत्त है। अपर में यह ब नहीं प्रयुक्त हुमा है। एक उदाहरण देखिए चला चला पहियोणि चडियर मादिषिण पत्री हिजोडाए महाधि कादमि दूर दक्षतरि धमिलिया अधि भनि ना१ ॥ भाभिक मोतिष चरक सूर पूरा रतन मह बेइ सोवन जवारा अशोक वन अनुभाष पल्लव दलिहि रितुपतेरचियले तोरणमाला देवकन्या मिलिय भवले मंगल दिया किनर गायहि जगत गुरी लाम मारत पुरगुरो बाप पनी का सिध मूरि गुरो । ' (२) अवर बर पारि पुन्यार पारे मूल नक्षाविसह सारी शुषई सुर नाई नर चरण चडामणि जाम पुत्र नरबय कुमारो । वस्तुतः निश्वर रिवीवमहलों में मूलगा का वस्तु छद के साथ सर्व प्रथम ही प्रयोग मिलता है। यह पीलिया है। (ब) असलेनी - जी हा मह बना विविध देसी बालों में लिपी म नमें विभिन्न विभिन्न मेय बात उबारना से पनी विपकी कमी बोपाबा की, ८वीं कड़ी में सवैया, भी कही मा। ५.४मो निम्टि मेला प्रधान RTE का दोडा, १ से १५ (t मा mithstinी रोला और ११५ कड़ी - पूरगलीमी मा u Meet न बाद ही बगरकन्द पंवरलाल नाटा पु.॥ KARजिनीरि पल पीवर)
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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