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(रागों तथा विविध ढालों में संयुक्छ)
१- मात्रिकाः
१. दोहा
४. चौपाया
२- चौपाई ६. उल्लास
- सोरठा
५- रोला - एव्यय 1- कुंडलियां १-- रासक
१४- म्लवम १८- इर्मित
१५- हरिगीतिका 1. पाटिका १९.आदोल २०- अडेवा
11- काक्ट
२३- पादाकुल १७- परि ३१- बायो
२८-मरहट्छ
३०-माधा
- अडिल्ला
- द्विवपदी
१. विषयी
- उपेन्द्रकमा
४-विलंबित
1- नाति ५- रथोता १- मालिनी
१०-नाराब
- सारसी
इन त्यो प्रणिय बो र विस्तार विवानों ने मार डाला
are पर मिला नहीं दिया मासा है। कुछ जुने हुए
पापियकी परिव दिया जाना था जैन कविगों में देशीबों गोलियों से हमारा उन्नीसदों का
परी और परिकम प्रभागावकिा गा रहा है।