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की सुरक्षा की है। यहां तक कि जैन कवियों ने तो अपने काम के प्रभाव से इलाम शासकों तक को प्रभावित कर दिया था। आदिकाल की एक रास कृति अम्बदेवमूरि कृत समरा रास! तो अलाउद्दीन के सेनापति अलपमान को राम के नायक समरसिंह ने बहुत अधिक प्रभावित कर निकाला था तथा जैन मन्दिरों का बीड्वार बनाया था। इसी प्रकार ऐतिहासिक जैन म काव्य में प्रकाशित अनेकों आदिकालीन ऐतिहासिक कागो में तत्कालीन बाराहों पर जैन औन कवियों का प्रभाव देखा गया है पिथहरास कहीरास आदि में भी पैसे ही वर्णन है। अत: ये प्रतिमा मेकों की
स्या भाग मिल रही है। विभिन्न इस्लाम शासको प्रभावित मागीर भंडार हो अभी तक बंद पड़ा है। बात सम्म कि उसकी शेध होने पर इस सम्बन्ध में और अधिक नये मातम सामने आयें।
इस तरह १५.... तक इस्लाम के इस फोगी शासन के मध्यदेश दाचिन गुजरात तथा राजस्थान को पदात करके मोरा तो अवश्य परन्तु इसके पीछे भी इस्लाम धर्म के प्रचार की भावना कूट कूट कर भरी दिखाई पड़ती है। राणडों की पारस्थ रिक फूट, राजनैतिक ना की कमी, पक्वा का भाव दुर्गनिक गन्न मावि ने साहित्य वर्ग था कि मानका सम्मन्धी नये मूल्यों की स्थापना की। बालक ही राति परिस्थितियों में हमारे देशी गाय, पार्मिक या तिकोनों में नये वरव स्थापित किया है। इस समय मादिकालीन साहित्य की पृष्ठभूमि राम साधारण योग है।
पिप्राचीन बराबी पीडी. का . १७॥ शासन काव्य : श्री जगरनाटा प्राकमाटा द्राक्ष
का- पीसी.डी.काल परिशिष्ट ....२४॥
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