________________
के वर्णन, प्रद्युम्न चरित में सोलह विद्यानों के वर्णम जिमदत्त चउप में विद्याधरों की रानियों के प्रदेशों के नामों पर रखे गए माम वर्णन काव्य में धात्मकता को विशेष प्रति प्रदान करते है। (मामाजिक परंपराओं समधी यां
सामाजिक परंपरागों में अनेक कड़ियां मिल जाती है। साहित्य समाज का विसाज्य : समाज की प्रत्यक डायल की रखा साहित्य में होती है। सामाजिक संगठन, विवाह परंपरा, वर्ष व्यवस्था, रीतिरिवाज, राणा प्रमा, व्यापार बत्कालीम स्थिति गुमा वर्णन, वैश्या वर्णन, नक्षशिख वर्णन बहु-विवाह आदि लगभग सभी सामाजिक साड़ियों का बैन कवियों में वर्णन किया है। अतः ये कड़िया समाज के यथार्थ में दूनी रहती दी।
बहुविवार प्रथा प्रद्युम्न पारित मा भिमदत्त उपाय मावि वर्णन बम्बई के प्रिंस माफ वेल्स के राउल सम्बन्धी शिलालेख में, पंचपीन्डव परित राज, बसन्न काण. स्थलिमा फागु तथा विद्याविलास पवाड़ो, और रंग सागर निकाय, में परहित बलिदान की भावना जैव बीकों से सम्बन्धित लगभग सभी काव्यों मथा. परमेश्वर माळी राम विका, मेभिनाय काय, आदिनाथ परित, नारी विय, वैया ना भादि वर्गम का मामा, माती बहुम्माविका, प्रसन्न बारित तथा निवास उपाय, पलारी नाम,पुर्वान मील प्रबन्ध, बालबालारा, परस्ती बारा को कण्ट मा,
वारिक वैभव का मजाकिया राब और वनमाला राम निम्न बेबी की ती पर हो र शिवा करना पंच पायवरित राज, इन्ट गाना भाबि कपि, या पार सम्बन्धी सहग निवस करा बसत्यपुरीब गया, मिल पाती।सरह भनेकर नामों में बत्कालीन ममारिवाय परंपरा और हवाम मावि सम्बन्धी दिया इन कमियों
(a) सिरनामों बाली क्या सीमा:
कमेकातिक घटनाओं का वर्णन भी जैन कवियों की वर्णन परंपरा