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(a) प्रारम्भ में माधु पुरुषों और काव्य रस पाठकों तथा भोवानों
की प्रशंसा
(४) कर्मिदा, तथा अनिष्टकारी तत्वों का बहिष्कार
(4) कवि की पदों के अन्त में उसके नामकी छाम मिलनाकाव्य सम्बन्धी न कड़ियों का साहित्यिक अभिप्राय काव्य को सरस बनाना है। घटनाओं में चमत्कार और कौडल वर्मन काव्य के कलात्मक पक्ष को मजबूत बनाता है। यही अभिप्राय इन काव्यात्मक कड़ियों में कर भागे बलकर भला किन जाता है तथा ये अभिप्राय (mation ) परंपरित मड़ि का कम धारण कर लेते है। प्रत्येक देश के अपने अपने कवि अभिप्राय होते है। दिववेदी जी का चन है कि ऐतिहासिक चरित को काब्य का माध्यम बनाने पर कवि को अनेक संपावनाएं करनी पड़ती है और ये संभावनाएं अनेक अभिप्रायों ( mster के काल बनती है बधा मेकअभिप्राय भी इनके कारण बनवे गा और इन्हीं
मागे चलकर कथा कडिया प्रबलित हो जाती है। डा० दिववेदी में इस तथ्य गे स्वीकार किया है कि- ऐतिहासिक चरित का लेक्षक समावनाओं पर अधिक बल देता है। संभावनाओं पर बल देने का परिणाम यह हुआ है कि हमारे देश के साहित्य में यामक को गति और भाब देने के लिय से अभिप्राय दीर्घकाल से ज्यादा होने वा रोको बार बोड़ी दूर सारीर को मार मसार थामक हि बाब है। इस अभियागमेकर्ष यि गए।' पर ही उनके विका का सम्बन्ध नहीं है। बस्तुबा बढी कड़ियों के साहित्य बीना और परिणावकारी विक करना नाम । मोनि
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terr. वारी प्रभाव हिमवेदी।
वा-.१.२० इबारा श्री
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