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________________ ४४ आधुनिकता और राष्ट्रीयता वैसे-वैसे संघर्ष की संभावना कम होगी। विश्व की एकता में राष्ट्रीयता बाधक है। चाहे साम्यवाद को स्वीकार कर लें या पूंजीवाद को ( इन दोनों को विश्व की एकता में परस्पर बाधक मानने वाले कारण के रूप में देखा जाता है । राष्ट्रीयता तब भी बनी रहेगी और इससे सहज छुटकारा निकट भविष्य में संभव नहीं है । राष्ट्रीयता के संदर्भ और अर्थ बदलेंगे किन्तु राष्ट्रीयता रहेगी। जैसी स्थिति में राष्ट्रीयता पर वर्तमान संदर्भ में विचार किया जा सकता है । विशेष रूप से बंगला देश के निर्माण के बाद, पाकिस्तान की करारी हार के बाद और तो और निक्सन की चीन-यात्रा के बाद राष्ट्रीयता की धारणा बदल रही है। इस बदलती राष्ट्रीयता · में 'धर्म' की दुहाई देनेवाले राष्ट्रों की आवाज मंद हो रही है। 'धर्म' जो किसी समय में ( विशेष रूप से मध्यकाल में ) सत्ता का प्रमुख आधार रहा है, आज उसके हाथ से सत्ता छीन ली जा रही है। 'धार्मिकता' का विरोध 'आधुनिकता' से है और आधुनिकता राष्ट्रीयता को नया रूप दे रही है । निक्सन की चीन-यात्रा से यह बात साफ हो गई है कि वादविशेष (पूंजीवाद और साम्यवाद) के आधार पर अब राष्ट्रीय हितों पर विचार नहीं होता। स्थिति अब कुछ ऐसी हो गई है कि राष्ट्रीयता एक नये धर्म के रूप में सामने आ रही है । यह नया धर्म राजनैतिक है। इस समय भी 'धर्म' को राजनीति से अलग रखने का प्रयत्न होता है, किन्तु जो इतिहास का अध्ययन राजनैतिक स्तर पर करते हैं (सत्ताओं के लिये संघर्ष के रूप में करते हैं), वे जानते हैं कि धर्म अब भी राष्ट्रीयता का प्रमुख आधार बना हुआ है। राष्ट्रीय आधार पर विभिन्न धर्मों को एकरूपता देने का प्रयास होता है । यह प्रयास तत्त्वरूप में होता है. व्यावहारिक आधार पर तथा राजनैतिक अधिकारों के संदर्भ में होता है. और जनसामान्य में बदलती शिक्षा के कारण होता है । अतः धर्म हो. या राष्ट्रीयता इन दोनों को सामाजिक तथा राजनैतिक मूल्यों का आधार माना जा सकता है । दोनों ही प्रकार के मूल्यों से आज के व्यक्ति का सहज छुटकारा नहीं। राष्ट्रीयता के सामान्य तत्त्व : प्रत्येक राष्ट्र की राष्ट्रीयता अलग अलग होने पर भी सब राष्ट्रों में राष्ट्र विशेष के सामान्य धर्म या लक्षण पाये जाते हैं। उन्हें संक्षेप में निम्न रूप में समझा जा सकता है। १. प्रत्येक राष्ट्र का आधार भूभाग है । अर्थात् राष्ट्र की राजनैतिक सीमाएँ बनी हुई हैं । इस भूभाग से राष्ट्र के नागरिक सम्बद्ध
SR No.010027
Book TitleAadhunikta aur Rashtriyata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Bora
PublisherNamita Prakashan Aurangabad
Publication Year1973
Total Pages93
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Social
File Size10 MB
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