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________________ ३ परिभाषा : स्वरूप एवं विस्तार इस शीर्षक से चर्चा प्रारम्भ करने के पूर्व मैं स्वातन्त्र्योत्तर हिन्दी कहानी को 'नई' की संज्ञा दिए जाने के सम्बन्ध में दो बातें स्पष्ट करना चाहता हूँ । इस सम्बन्ध में डॉ० नामवर सिंह, डॉ देवीशंकर अवस्थी, डॉ० सुरेश सिनहा तथा श्री मोहन राकेश के अनेक लेख मैंने पढ़े हैं और 'नई' की संज्ञा पर विभिन्न दृष्टिकोणों को जानने की चेष्टा की है । कुछ दिन पूर्व हिन्दी में जिस प्रकार 'नई कविता' की चर्चा होती थी, उसी प्रकार सम्प्रति 'नई कहानी' की चर्चा छिड़ी हुई है । निस्सन्देह इन दोनों प्रकार की चर्चाओं का लक्ष्य कलाकारों और ग्रालोचकों द्वारा अनुभूत सत्य का परीक्षरण करना, नवीन युग के भाव बोध के प्रति सजग होना और नई दिशाएँ खोजना था, और है । इस वाद-विवाद से कविता और कहानी के सम्बन्ध में बौद्धिक चिन्तन का सुअवसर प्राप्त हुआ और साहित्य की इन दोनों विधाओं की प्रकृति मुखरित हुई । कलाकार और आलोचक दोनों के एक साथ सोचने, समझने, विचारों का आदान-प्रदान और नवीन उपलब्धियों का उचित मूल्यांकन करने से आलोचना भी पुष्ट हुई है । यह एक शुभ लक्षण है, क्योंकि अब कलाकार और आलोचक एक-दूसरे के विरोधी प्रतीत नहीं होते । किन्तु 'नई कहानी' प्रादि शब्दों का प्रयोग करते समय सतर्कता और सावधानी की आवश्यकता है । 'नया' या 'नई' ये शब्द अपने में बड़े अच्छे हैं । वे जीवन्त शक्ति, जिजीविषा, प्रगति, परिवर्तनशीलता, आदि के प्रतीक हैं । अमरीका में भी नवीनतम आलोचना को 'नई आलोचना'
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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