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आधुनिक कहानी का परिपार्श्व/५१ सामंजस्य स्थापित करने में उन्हें विशेष सफलता प्राप्त हुई है। उनकी कहानियाँ वस्तुतः भावुकता का अथाह सागर हैं, उनमें प्रशान्तता है, स्वप्निल संसार है और कल्पना की ऊँची उड़ाने हैं।
वृन्दावनलाल वर्मा ने ऐतिहासिक और सामाजिक दोनों ही प्रकार की कहानियाँ लिखी हैं; पर उनकी ऐतिहसिक कहानियाँ ही अधिक प्रसिद्ध हुई हैं-उन्होंने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में सामाजिक विकृतियों, असमानता एवं सामन्ती मनोवृत्ति, राष्ट्रीयता, देशप्रेम, त्याग एवं बलिदान, निःस्वार्थ प्रेम तथा सहकारिता पर आधारित व्यापक कल्याण की भावनाओं को अपनी कहानियों में चित्रित करने का प्रयास किया है। उनकी सृजनशीलता का महत्व इस बात में सन्निहित है कि उसके द्वारा लेखक से समाज और पाठक को कोई कल्याणकारी प्रेरणा मिलनी चाहिए। जनमत में दिव्यता लाने का सवेग उत्पन्न करना उसका कर्तव्य है । इतिहास के तथ्य और जन-परम्पराओं में उन तथ्यों के प्रति श्रद्धा उसके साधन हैं । वर्मा जी का दृष्टिकोण मुख्यतया आदर्शवादी है और उनका उद्देश्य ‘राक्षस की हार और देवता की विजय' है । उन्होंने अपनी प्रेरणा के स्रोत भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परम्पराओं एवं उनकी मर्यादा में खोजे हैं और अन्वेषित आदर्श तथा सत्य को आधुनिक जीवन के परिवर्तित सन्दर्भो एवं सर्वथा अभिनव परिप्रेक्ष्य में समन्वित करने की चेष्टा की है और इसमें उन्हें पर्याप्त अंशों में सफलता भी प्राप्त हुई है | वास्तव में सम्पूर्ण नया उन्हें स्वीकार नहीं है और न पुरातनत्व की सभी दिशाएँ ही उन्हें ग्राह्य हैं। उन्होंने इन दोनों सीमानों के मध्य वह विचार-तत्व ग्रहण करने का और अपनी कहानियों में चित्रित करने का प्रयास किया है, जो परिवर्तित परिस्थितियों में नवीन सूत्रों से समर्थित हो और साथ ही संस्कृति की मर्यादा के अनुरूप भी हो । उनका यह संतुलित रूप उनकी कई कहानियों में सफलतापूर्वक उभरा है।
अपने युग के दूसरे कहानीकारों की भांति वर्मा जी ने भी अपनी
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