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________________ आधुनक कहानी का परिपार्श्व/४७ श्रद्धा थी और उसे सांस्कृतिक तत्वों से पूरित पोषित कर इस योग्य बना देते थे कि प्रेम की उच्छङ्खलता की कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। उनके लिए व्यक्ति का व्यक्ति से प्रेम मात्र एक शारीरिक आकर्षण अथवा वासना के रूप में न होकर दो हृदयों का मधुर मिलन ही था । इसीलिए यथार्थ की कठोरता एवं सामाजिक विषमताओं के मध्य भी अपनी कहानियों के माध्यम से उन्होंने व्यक्ति की गरिमा स्थापित करने की चेप्टा की। अपने पात्रों में उनकी सूक्ष्म अन्तर्दष्टि निरन्तर मानवीय गुण खोजने के प्रति ही आग्रहशील रहती है। मानव-सम्बन्धों का उद्घाटन करने और व्यक्ति के मन का विश्लेषण करने में भी उन्हें बड़ी सफलता प्राप्त हुई है। सब मिलाकर उनकी कहानियाँ चित्र हैं-यथार्थ के नहीं, काल्पनिकता एवं भावुकता के, जिनमें मोहक स्वप्नशीलता है और सरसता है। इसीलिए, जैसा कि मैंने ऊपर कहा, उनकी कहानियाँ हृदय स्पर्श करती हैं, प्रभावित करती हैं, बुद्धि को नहीं। उनमें मानवीय संवेदनशीलता, चित्र-विधान, प्रतीकौं की परिकल्पना आदि बातें मिलती हैं, पर जीवन के कठोर यथार्थ से यथासम्भव बचने की प्रयत्नशीलता भी लक्षित होती हैं। चन्द्रधर शर्मा गुलेरी ने यद्यपि अपने जीवन में तीन ही कहानियाँ लिखीं-'सुखमय जीवन', 'बुद्ध का काँटा' और 'उसने कहा था। किन्तु अंतिम कहानी ही उनकी कीर्ति का प्रधान स्तम्भ है। यह कहानी चरित्रप्रधान कहानी है और निःस्वार्थ प्रेम, आत्म-त्याग, बलिदान और वीरता का सजीव चित्र प्रस्तुत करती है । इस कहानी को अच्छी तरह समझने के लिए उसका प्रारम्भिक भूमिका-भाग पहले समझ लेना चाहिए, क्योंकि प्रधान पात्र लहनासिंह के चरित्र की कुंजी और सम्पूर्ण कहानी के वातावरण का मूल इसी भाग में है । कथानक का विकास उत्तरोत्तर स्वाभाविक ढंग से होता है। उसमें नाटकीयता है, प्रभाव-ऐक्य है, घटनाओं की सुसम्बद्ध शृङ्खला है, उत्सुकता और कुतूहल है और सुन्दर प्रभावोत्पादक चरम सीमा है। पात्रों का चरित्र-चित्रण करते समय
SR No.010026
Book TitleAadhunik Kahani ka Pariparshva
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size18 MB
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