________________
आधुनिक कहानी का परिपार्श्व/१४३ में मान्यता दिलाने की दिशा में निरन्तर प्रयत्नशील रहते हैं।
निर्मल वर्मा की 'पिछली गर्मियों में', 'माया दर्पण', 'लवर्स', 'लन्दन की एक रात' तथा 'कुत्ते की मौत' आदि कुछ ही कहानियाँ ऐसी हैं, जिनमें आधुनिक जीवन की ट्रेजेडी थोड़े यथार्थ ढंग से अभिव्यक्त हुई है। नहीं तो जीवन से पलायन, घोर आत्मपरकता, कुंठा, निराशा,
और घुटन की शराब से शांत करने की झूठी ललक से हर कहानी भरी है। उन कहानीकारों के सम्बन्ध में अधिक क्या कहा जा सकता है जो अपनी प्रेरणा के स्रोत्र विदेशों में खोजते हैं, भारतीय जीवनपद्धति जिनके लिए नगण्य एवं उपेक्षणीय हैं, तथा जिन्हें अपने को 'भारतीय' कहने में भी संकोच होता है, क्योंकि यहां के लोग 'प्राग-वासिवों' की भाँति आधुनिक नहीं हैं ।
'माया दर्पण' तथा 'लन्दन की एक रात' उनकी उपलब्धियाँ हैं ।
मार्कण्डेय मुख्यतया अांचलिक कहानीकार हैं और उन्होंने अपनी कहानियों में स्वातंत्र्योत्तर काल में भारतीय ग्रामों में हुए परिवर्तनों को यथार्थता से उजागर करने की चेष्टा की है। वे प्रगतिशील कहानीकार हैं और ग्रामीण भावभूमि की उन्हें खूब पहचान है । 'हंसा जाई अकेला', 'गुलरा के बाबा', 'लंगड़े चाचा', 'मिरदंगिया', 'बोधन तिवारी', 'गुसाई', 'फूलमतिया', 'घुन', 'आदर्शों का नायक', 'छोटे महाराज, आदि ऐसी ही कहानियाँ हैं, जिनमें उनकी समाजवादी भावना प्रतिफलित हुई है। उनकी विचारधारा का मूलाधार मार्क्सवाद है, पर वह यशपाल की भाँति स्थूल न होकर प्रत्यन्त सूक्ष्म है और उनका उद्देश्य प्रचार न होकर भारतीय जीवन-पद्धितियों से उसका सामंजस्य स्थापित कर प्रगतिशील दृष्टिकोण की स्थापना है । वर्ग-वैषम्य, शोषण, असमानता, रुढ़ियों एवं अन्धविश्वासों पर उन्होंने अपनी कहानियों में कठोर प्रहार किए हैं और उनकी अनुपयोगिता सिद्ध करते हुए नवीन परिवर्तनों की ओर ध्यान आकृष्ट करने की चेष्टा की है। इन