________________
गायन-सी हो गुंजायमान, छा जाये नभपर बन अम्लान, थिरके चंचल हो सुप्त प्राण,
गत वर्तमान जोड़े भविष्यको
वन लय - सुर !
अह, छेड़ रहा है मुझे कौन ! लय भंग हो गया यदपि, तो न
मुखरित होगा मन्दायु मौन,
रे, अभी भविष्यत् और शेष है वन न निठुर !
बस, बन्द करो अस्थिर निनाद,
ले लो तुम यह चिर आह्लाद,
में लूंगा मादकता प्रसाद, में अमर हुआ, गत हुआ नाद यह क्षण-भंगुर !
,
जो सरस प्रेमसे रहा सींच उसको मेरे करसे न खींच, अवलोक रहा हूँ नेत्र मींच,
में अन्तहित हूँ दृश्यमान
BY
छवि म्लान मुकुर
७१
―
!