________________
अभी लोक ग्रालोक भरा है,
दिखती रससे भरी
धरा है,
होगा,
चोगा | ३
हा, फिर घोर अँधेरा
पहनेगा जग काला
जो हैं श्राज
डग-भर दूर न
चलकर जाते
कल वे भीख माँगने श्राते, तो भी उदर न हैं भर पाते |४
श्राज वसन्त यहाँ है छाया, विखरी है निसर्गकी माया, कल, हा, ग्रीष्म-ताप श्रायेगा, सव सौन्दर्य विला जायेगा |५
द्रव्य - मदमाते,
फँसा,
हाय, काल-नर्तन है, जगका कैसा परिवर्तन है,
हम भी कभी शून्य
यह अस्तित्व सभी
ऊँचे चढ़े ग्रथः
पैदा हुए,
माथा मारा, समझ न पाया, चिन्तामें निशि - दिवस विताया |६
-
होयेंगे,
खोयेंगे,
गिरनेको,
हाय, मरनेको ! ७
1
४९