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-शैशव अन्य, अन्य यौवन है, है वृद्धत्व निराला; सारा ही संसार सिनेमाकेसे दृश्योंवाला। इन भंगुर भावोंसे न्यारा ज्योति-पुंज चैतन है ; मूर्ति-रहित चैतन्य-ज्ञानमय, निश्चेतन यह तन है ।
(४) मैं हूँ सबसे भिन्न, अन्य अस्पृष्ट निराला ; आतमीय-सुग्व-सागरमें नित रमनेवाला । सव संयोगज भाव दे रहे मुझको धोखा; हाय, न जाना मैंने अपना रूप अनोखा ।
आज और कल - जो है आज जरा-सा छोटा , चंचल उद्धत और छिछोरा, कल वह होगा वृद्ध सयाना , -बूढोंका भी बूढ़ा नाना ।१
छोटी-सी अवखिली कली है , दिखनेमे अत्यन्त भली है , कल वह सुन्दर सुमन वनेगी , शाखासे गिर, धूल सनेगी ।२