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बलिदान
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जीवनका बलिदान मुझे दो सुखमय जीवन-दान न दो ।
करें ।
प्राजन मन बहलानेको हम मृदु वीणा भंकार करें ; इस जीवनका मूल्य मिलेगा, आज मृत्युसे प्यार करें । भून रहा मानवको मानव, पशुताका संहार करें ; शोषण, उत्पीड़नके बदले प्रलयंकर हुंकार 'जीवनका उत्सर्ग करें यह प्रण दो मुझको प्राण न दो । भक्तोंमें हो शक्ति, स्वयं भगवान दौड़कर आते हैं 'भक्त सगुणको निर्गुण श्री' निर्गुणको सगुण बनाते हैं । · यदि भगवान नृशंस क्रूरता घातकता अपनाते हैं ; तो विद्रोही भक्त ग्राज उनका अस्तित्व मिटाते हैं । भक्तोंने भगवान वनाये,
भक्त मिले, भगवान न दो ।
भरा विश्वका भाग्य हमारे मस्तककी इस रोलीमें ; दीवाने - वनकर मिल जायें दीवानोंकी टोलीमें । भीषण नर-संहार मचेगा करुण-कंठकी बोलीमें ; - क्षण-भर में यह जगत जलेगा महानाशकी होलीमें । दो,
सुखसे मुझको मर जाने
जीनेका अरमान न
दो ।
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