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श्री गुलाबचन्द्र, ढाना
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आप सागर जिलेके ढाना ग्रामके निवासी हैं। अनेक विषयोंकी जानकारी रखनेके अतिरिक्त साहित्यसे आपको विशेष रुचि है। अपने यहाँके राजनैतिक क्षेत्रमें भी ये सक्रिय भाग लेते हैं और जेल-यात्रा कर पाये हैं। कविता अच्छी कर लेते हैं। अन्तरको अनुभूतिकी व्यंजना कम है।
चन्द्र के प्रति निशाकी नीरवता कर भंग गगनमें आते हो चुपचाप, विश्वको देते क्या उपदेश वताओ, हे राकापति, आप ?
सूर्यकी प्रखर रश्मियोंसे जगत् सन्तापित होता नित्य , उसे फिर शीतलता देना
निशापति, तेरा ध्येय पवित्र । रंकसे राजाओं तक सदा एक-सा है तेरा व्यवहार, प्रवद्धित होते हो हर रोज़ सुधाकर, करते हो उपकार ।
तुम्हें कहते हैं कवि सकलंक वड़ा निष्ठुर है यह व्यवहार, किन्तु मुखकी उपमा देकर किया करते हैं कुछ प्रतिकार ।
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