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गीत
आज हमें फिर रोना होगा ।
नई-नई आशाएँ लेकर, अरमानोंको खूब संजोकर,
स्वप्न-चित्र सुखका खींचा था आज उसें फिर धोना होगा । आज हमें फिर रोना होगा ।
मधुर कल्पना - जाल बिछाकर, नुपम अतिशय महल बनाकर,
निर्मित लस अलौकिक जगको आज वाध्य हो खोना होगा । आज हमें फिर रोना होगा ।
अव न रहेंगी सुखद वृत्तियाँ, शेष बचेंगी मधुरस्मृतियाँ,
उन्हें छिपाये ही हृत्तलमें मरते-मरते जीना होगा । आज हमें फिर रोना होगा ।
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