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श्री चम्पालाल सिंबई. 'पुरन्दर
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ग्रारकी जन्मतिथि ५ फरवरी सन् १६१६ है। अापने मात्र कॉलेज मनन एम० ए० तर विमा पाई है और उसके उपरान्त अपने व्यापार कार्यको मनान लिया है।
आर जन् १९३५ने कविताएं और कहानियां निन्ज रहे हैं. जो ननव-नामपर जन-ौनया 'मायुतं'नारों, रिजयाजी प्रतारं आदि महिलिन पत्रोंने नावित होती रही हैं। पारने बाल साहित्याची भी वृष्टि की है। तता का कालचान पत्र्ने भारतस्यू-सहोर के नाम लेन्द्र और कहानियां देते हैं।
भारत छोटे भाई श्री माताल लिई सुन्दर गीतिकाल निते हैं। 'परन्दर नोनी कविताएँ प्रोजनयी और प्रसाद गुगयुक्त होती हैं।
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