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श्री खूबचन्द्र, 'पुष्कल'
Gerryton
आपकी अवस्था अभी २५ वर्षकी है । यह सोहौरा ( नागर ) के रहनेवाले हैं । काव्य - साहित्यसे वचपनसे ही अनुराग है । श्राप लिखते हैं"मुझे कविताको स्वाभाविक लगन है, और यह ध्रुव सत्य है कि . कविताके बिना मैं उन्मत्त बना रहता हूँ ।"
'पुष्कल'जीने श्रनेक विषयोंपर श्रव तक जो कविताएँ लिखी है उनकी संख्या काफ़ी है । यह बहुत ही होनंहार कवि हैं ।
अपनी कवितामें श्राप वैयक्तिक सुख-दुखको अनुभूतिका राग नहीं छेड़ते । वाह्य दृश्यों और पदार्थोंको केन्द्रमें रखकर यह अपने हृदयको प्रतिक्रियाका प्रदर्शन करते हैं । भाषा, भाव और विषयोंका संकलन सरल होता है ।
भग्न- मन्दिर
अहा, पावनतम पुण्य प्रदेश, धर्मके प्रामाणिक इतिहास ; प्रकृति अञ्चलमें हो मौन, निरन्तर लिये हुए उल्लास । कलाकारोंके हे स्मृति चिह्न, कलाओं के संग्रह संस्थान ; ग्रहो, पाया तुमने केवल, विश्वमें सर्वोत्तम सम्मान । किसी मन्दिर में मानवदल, किया करने अनुपम संगीत ; गूंजता रहता निर्जनमें, निकटवर्ती निर्भरका गीत । कलानिधि कहलाने के योग्य, विश्वमें सर्वोन्नत साकार ; दिवाकर, चन्द्र र तारे, रहे निशर्टिन अनिमेष निहार ।
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