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Tottlesh Yesh1-1-1
स्तवन-विभाग
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मिच्छामि दुक्कड़ तेह रे || प्रा० १९ ॥ बारें भेदें तप नवि कीधो, छते योगे निज शकते । धर्मे मन वच काया धीरज, नवि फोरविडं भरते रे ॥ प्र०२० ॥ तप वीरज आचारे इण पर, विविध विराध्यां जेह । आभव परभव वलिय भवोभव, मिच्छामि दुक्कड़ तेह रे ॥ प्रा० २१ ॥ वलिय विशेषे चारित्र केरा, अतीचार आलोइये । वीर जिनेसर वचन सुनी नें, पाप मैल सवि धोइये रे ॥ प्रा० २२ ॥
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॥ ढाल ॥ '
पृथ्वी पानी तेउ, वाउ, वनस्पति, ए पांचे थावर का ए । करी करसन आरम्भ, खेत्र जे खेडीया, कूआ तालाव खणाविया ए ||२३|| घर आरम्भ अनेक टांका भोपरां, मेढ़ी माल चिणाविया ए । लींपण गुंपण काज इण पर, परपरे पृथ्वीकाय विराधिया ए || २४|| घोअण नाहण पानी, झीलण अप्पकाय, धोती धोई कर दुहव्या ए । भाठीगर कुम्भार, लोह सोवनगार, भडभूंजा लिहालागरा ए ॥ २५॥ तापण सेकण काजे, वस्त्र निखारण, रंगण राधण रसवती ए । इणि परे कर्मादान, परिपरे केवली, तेउवाउ विराधिया ए ||२६|| वाडी वन आराम, वावी वनस्पति, पान फूल फल चूंटीया ए । पौहक पापडि शाक, सेक्या सुखाया, छेद्या लूंचा आथिया ए ॥२७॥ अलशी ने एरण्ड, घाणी घाली ने, घणा तिलादिक पीलीया ए । घाली कोलू मांहि पीली सेलडी, कन्द मूल फल वेचिया ए ॥ २८ ॥ इम एकेन्द्री जीव हण्या हणाविया, हणतां जे अनुमोदिया ए । आभव परभव जेह, वलिय भवोभव, ते मुझ मिच्छामि दुक्कड़ ए ||२९|| कमी सरमिया कीडा, गाडर गण्डोला, इअल पूरा अलसीया ए । वाला जलो चुडेल, विचलित रस तणा, बलि अथाणा प्रमुखना ए ॥ ३० ॥ इम वेइन्द्री जीव, जं मैं दृहत्या, ते मुझ मिच्छामि दुक्कड़ ए | उद्देही जूं लीख, माकड़ मंकोडा, चांचड कीडी वांथुआ ए ||३१|| गडहिया घीवेल, कानखजूरडा, गोंडोला धनेरीया ए । इम तेइन्द्री जीव जे मैं दृहव्या, ते मुझ मिच्छामि दुक्कड़ ए ||३२|| माखी मच्छर डांस मसा पतंगिया, कंसारी कोलिया वडा ए ।
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