________________
pantatisticatakshattachakshakitallయన నడవడవనంటుందనడుగుచుండునుడasalabhakthitti
vvvvvvvvvvvvvvv
atantatikahaitadkateabootsobathtakathabutartesantart.kakisthitisate
tatasatsecscalesiseasati.batesamakalinsakoolakhlifolmaanikomliladkila Globaldnlaobalag
जैन-रत्नसार हजूर । वार वार भाजू वली जी, छूटक वारो दुर ॥ कृ० १९ ॥ आप काज सुख राचतां जी, कीधां आरंभ कोड़। जयणा न करी जीवनी जी, देव दया पर छोड़ ॥ कृ. २०॥ वचन दोष व्यापक कह्या जी, दाख्या अनरथ दंड । कूड़ कपट बहु केलवी जी, व्रत कीधां सत खंड । कृ. २१॥ अणदीधो लीजे तृणो जी, तोही अदत्ता दान । ते दृषण लागा घणा जी, गिणतां नावे ज्ञान ॥ कृ. २२ ॥ चंचल जीव रहे नहीं जी, राचे रमणी | रूप | काम बिडंबन सी कहूं जी, ते तूं जाणे सरूप ॥ कृ. २३ ॥ माया । ममता में पड्यो जी, कीधो अधिको लोभ । परिग्रह मेल्यो कारमो जी, न चढ़ी संजम सोभ ॥ कृ० २४ ॥ लाग्या मुझ में लालचे जी, रात्री भोजन दोषः । मैं मन मूक्यो माहरो जी, न धरयो धरम संतोष ॥कृ०२५॥ इण भव पर भव दुहव्या जी, जीव चौरासी लाख । ते मुझ मिच्छामि दुक्कडं जी, भगवंत तोरी साख ॥ कृ. २६ ॥ करमादान पनरे कह्या जी, प्रगट अठारे पाप । जो मैं कीधा ते सहू जी, वकस वकस माइ बाप ॥ कृ० २७ ॥ मुझ आधार छे एटलो जी, सरदहणा छे शुद्ध । जिनधर्म मीठो जगत में जी, जिम साकर ने दुग्ध ॥ कृ० २८ ॥ ऋषभदेव तूं राजियो जी, सेजागिरि सिणगार । पाप आलोयां आपणा जी, कर प्रभु मोरी सार ॥ कृ० २९ ॥ मर्म एह जिनधर्म नो जी, पाप आलोयां जाय । मनसू मिच्छामि दुक्कडं जी, देतां दुर पुलाय ॥ कृ० ३० ॥ तूं गति तूं मति तूं धणी जी, तूं साहिब तूं देव । आण धरू सिर ताहिरी जी, भव भव ताहरी सेव ॥ कृ० ३१ ॥
कलश इम चढ़िय सेव॒जा चरण भेट्या, नाभिनन्दन जिनतणा । कर जोडि आदि जिनन्द आगे पाप आलोया आपणां । श्री पूज्य जिनचन्द्र सूरि सद्गुरु प्रथम शिष्य सुजस घणें । गणि सकल चन्द सुशिष्य वाचक समय सुन्दर गणि भणे ॥३२॥
Sore Trial-Terfado-Lifalorinlali.laletarinkalukasaalatialathinkstatestanktobuabbtakaastalisbipikaslelossalonilialisakalina raisonashaibhtakalenteTETiTejOTarla Telero-porters: