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ch's' PITHALILERIAL Prakrit PLZ जैन - रत्नसार
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साइणी डाइणी रोहिणी रङ्कणी, फोटका मोटका दोष हुंते । दाढ़ उंदर ती कोल नोला तणी, स्वान सीयाल विकराल दंते ॥ ॐ ५३ ॥ धरणेन्द्र पद्मावती समर सोभावती, वाट आघाट अटवी अयंते । लक्ष्मि लोहूं मिले, सुजस वेला उले, सयल आस्या फले मन हंसते ॥ ॐ ५४ ॥ अष्ट महा भय हरें कान पीड़ा टले, ऊतरे सृल सीसग भणते । वदतवर प्रीत सं प्रीति विमला प्रभू, श्री पास जिण नाम अभिराम मंते ॥ ॐ ५५ ॥ पार्श्व स्तवन
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अपने घर बैठ के लील करो, निज पुत्र कलत्र सुं प्रेम धरो । तुम देश देशान्तर कांई दौड़ी, नित नाम जपो श्री नागोड़ी || १ || मन बंछित सगली आस फले, सिर ऊपर चामर छत्र हुले । आगे चाले झलमल घोड़ो, नित नाम जपो श्री नागोड़ी ||२|| भूत प्रेत पिशाच बेताल बली, डाकिणी साकनी जाय टली | छल छिद्रन लागे कांई झोड़ो, नित नाम जपो श्री नागोड़ || ३ || एकान्तरता बसिया दाहू, औषध बिन जाय थई माहू । न दुखे माथो पग गोड़ो, नित नाम जपो श्री नागोड़ा ॥४॥ कण्ठ माल गढ़ गूम्बड़ सगला, व्रण उरमें रोग टले सबला | न करे पीड़ा फुनगल फोड़ों, नित नाम जपो श्री नागोड़ो ||५|| न पड़े दुर्भिक्ष दुःकाल कदा, शुभ वृष्टि सुभिक्ष सुकाल सदा । ततखिण तुम अशुभ करम तोड़ो, नित नाम जपो श्री नागोड़ो || ६ || तू जाग तो तीरथ पास पहू, तुझ नाम जो जाने जगत सहू | मुझ जाने भव दुःख थी छोड़ो, नित नाम जपो श्री नागोड़ो ||७|| श्री पार्श्व महेवा पुर नगरे, जिन भेट्या प्रभु हरष धरें । गणि समय सुन्दरजी गुण जोड़ो, नित नाम जपो श्री नागोड़ो ||८||
पार्श्व जिन स्तवन
श्री संखेसर पास जिनेसर भेटिये, भवना संचित पाप परा सब मेटिये । मन घर भाव अनंत चरण युग सेवतां, अणहुता एक कोड़ि चतुर far देवता || १ || ध्यान धरूं प्रभु दूर थकी में ताहरो । जल जिम लीनो मीन, सदा मन माहरो | भव भव तुमहीज देव चरण हूं सिर धरूं, भव