________________
यात्र
Subbattibiotstatisticategibiotictortoisodattattostaticarmacokottotopotasatbriate
जैन-रत्नसार
32 ETHEREntestina
-तत्र
tilitathaat-KRISALMEENE
M
प्रस्न प्रजनननननननन प्रणमत्र
भ्र धनु युति छवि छाई नयन में ॥ मो० ६ ॥ हार मुकुट कुंडल कटकादिक, रण झणकार कराई मगन में ॥ मो० ७ ॥ चन्दन खोरा वनी अति सुन्दर, प्रीति वचन सुखदाई करण में ॥ मो० ८ ॥ श्री जिनचन्द्र आंगन में खेलत, निरख निरख उलसाई चरण में ॥ मो० ९ ॥
॥ श्लोक ॥ यथाग्रीष्मे चन्द्रैः निठुरतर धर्मोपशमनं, जगजंतू तापं समुपशमनं श्रीजिनवरैः । सुपर्व श्रीखंडैः मृगमद सुगन्धै शुभकृतैः, जिनां जन्मावस्था अचल सुख वाशाय सुयजे ॥१०॥ ॐ ह्रीं परमात्मने ज्ञानत्रय सहिताय परोपकारैक रसिकाय सकल जिनवरेन्द्राय जन्म कल्याणकेभ्यः चन्दनं यजामहे स्वाहा ॥
पुष्प पूजा
॥ दोहा ॥ भव्य कमल प्रति बोधवा, मानो उदयो भान । पञ्च वरण के कुसुमसे, अ) जन्म कल्यान ॥१॥
(होरी खेलत नेम हरख चित्तधारी) प्रभु छबि निरख निरख मन भाई ॥ प्र० ॥ इन्द्राणी मिल नृत्य । करत हैं, मंगल गान बधाई । प्रत्युत्संग जिनराज खिलावे, बोले वचन सुधाई ॥ प्र० २ ॥ पञ्च बरण के सुमन लेईने, अनुपम माला पहराई मात पिता मिल उच्छव करके, देवें मान बधाई ॥ प्र० ३ ॥ समकित पुष्ट निमित्त नोकारण, आतम हेतु सहाई, श्रीजिनचन्द्र अखयचन्द्र राजित उरगण मांहि रहाई ॥ प्र० ४ ॥
॥ श्लोक ॥ सुरेन्द्राणां वन्धं सकल गुणधामं शिवकर, विशालैः श्रीकारैः परम निज धमैः विकशितैः । क्रिया सम्यज्ञानः निज गुण निवाशाय विदधे, जिनां जन्मावस्थां सुरभि कुसुमैरर्चनमहं ॥५॥ ॐ ह्रीं परमात्मने ज्ञानत्रय सहिताय परोपकारैक रसिकाय सकल जिनवरेन्द्राय जन्म कल्याणकेभ्यः पुष्पं यजामहे स्वाहा ॥
AMAKASEXPHimalaL
YRIENDRAToolsindikirzastastolai-Awt-1-1-
tex