________________
amaanaaseetairtelarakeetakarrested-takenarelarakakar
s
akalatakarmkakkarhadeistakeseksihotstalksekshara
१६१
...............
विधि-विभाग
Etะนใจได้ไอ ได”
नन्दीश्वर द्वीप तपस्या विधि शुभ घड़ी शुभ मुहूर्त में गुरु के पास जा कर तप ग्रहण करे । नन्दीश्वर द्वीप के चारों दिशाओं में कुल ५२ चैत्यालय हैं ५२ अमावस्थामें ५२ उपवास करे । जिस दिन जिस महाराज के नाम का उपवास हो उसी नाम की २० माला फेरे प्रतिक्रमण, देवचन्दन दोनो वक्त करे । और ५२ फेरी देवे ।
१ श्री ऋषभाननजी सर्वज्ञाय नमः २ श्री चन्द्राननजी सर्वज्ञाय नमः ३ श्री वारिषेण जी सर्वज्ञाय नमः ४ श्री वर्धमानजी सर्वज्ञाय नमः
इन चारों नामों को तीन दफा उल्टा और सीधा गिने। एक और जाप करेअनुक्रम से १३ उपवास करने से एक ओली सम्पूर्ण होती है । चार ओली करने से ये तप सम्पूर्ण होता है ।
तप सम्पूर्ण होने पर शक्ति के अनुसार तप का उद्यापन करे । नन्दीश्वर द्वीप की पूजा करावे, मंगल गावे । ज्ञान पूजा गुरु पूजा करे साधर्मी वत्सल करे । अगर शक्ति हो तो एक २ दिशा में १३-१३ पहाड़ों की रचना करके इस प्रकार चारों दिशाओं में ५२ पहाड़ों की रचना करे । प्रत्येक दिशा के मध्य में अंजन गिरि, चारों तरफ चार श्वेत पर्वत, चारों तरफ चार दधिमुख पर्वत, और चारों तरफ चार रतिकर पर्वत इस तरह एक दिशा में १३ पर्वत हुए । चारों दिशाओं में इसी तरह स्थापना करे । कुल ५२ हुए । उनपर बावन बिम्बों की स्थापना करे । इनकी पूजा में ५२ स्थापना, ५२ नारियल, ५२ अंगलूहणे याने सभी वस्तुएं ५२-५२ । होनी चाहिये क्रम से एक एक काव्य पढ़ कर जल चन्दनादि अप्ट द्रव्य से अंग पूजन आदि करे । इससे अनन्त सुखों की प्राप्ति होती है ऐसी ।
शास्त्रों की आज्ञा है। ॐ नोट-नन्दीश्वर ठोप के ऊपर बावन जिनालय है और उनमें शाश्वती चौमुखी प्रतिमाएं विराजमान है।
ไดไไไไไดไคได้ไหนไตได้ใจไดไดไไไไดดไทใจใกคไตใจไจใคไอคไฟไดไไไไไไไไไขไดปัจจไไดไไดไไไดไคลได้ในคใดไดไไดไไไไllะไตใจใจใดถึงใจไจนไดไตใจให้ไไไไดไฟองเงไลน์
.......
.
......