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विधि-विभाग पॉछ । अंगलूहणा करके केशर, अम्बर, कस्तूरी मिश्रित चन्दन की कटोरी ३ हाथ में ले इस प्रकार श्लोक कहे :
चन्दन पूजा सकल मोहतमिश्र विनाशनं, परम शीतल भाव युतं जिनं ।। विनय कुंकुम दर्शन चन्दनः, सहज तत्व विकाश कृतर्चये ॥२॥
अथवा सरस चन्दन घसिह केशर, भेली मांही बरास को,
नव अंग जिनवर पूजते, भवि पूरते निज आसको ।। भव पाप ताप निवारणी, प्रभु पूजना जग हित करी ।
करूं विमल आतम कारणे, व्यवहार निश्चय मन धरी ॥ ॐ ह्रीं श्रीं परमपरमात्मने अनन्तानन्त ज्ञान शक्तये जन्म जरा मृत्यु निवारणाय श्रीमत् जिनेन्द्राय चन्दनं यजामहे स्वाहा ॥ ___"हे भगवन् आप की चन्दन पूजा करने से जैसे चन्दन शीतल होता है, वैसे ही काम क्रोधादि ताप से मेरा चित्त शीतल हो।" इस तरह शुभ भावना भाते हुए नव अंगों को भेटे तथा प्रत्येक अंग पर दोहा बोले। अंगूठे पर---जलभरी संपूट पत्र में, युगलिक नर पूजन्त ।
ऋषभ चरण अंगूठड़ों, देवे भवजल अन्त ||१|| जान (घुटन) पर-जानु बले काउसग्ग रहे, विचरणां देश विदेश ।
खड़े खड़े केवल लिया, पूजं जानु नरेश ॥२॥
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