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त्रिकहीनश्रेणिछेदनमात्रः रज्जुच्छेदः भवेत् गच्छः ॥ . .. जंबूद्वीपछेदेन पपयुक्तेन परिहीना || ३५९॥ .
अर्थ-तीन धाटि जगच्छ्रेणीका अर्ध प्रमाण एक राजके अर्द्धच्छेद है । तिनमें अबूद्वीप लाख योजन प्रमाण ताके अर्घच्छेद छह अर्धछेदनिकरि संयुक्त घटाएं ज्योतिषी विवनिकी संख्या ल्यावनेविर्षे गच्छका प्रमाण हो है । तहां जगच्छ्रेणी अर्घच्छेद इतने हैं इहां पत्यके अर्धच्छेदनिकी सहनानी ऐसी छे भर नीचे असंख्यातकी सहनानी ऐसी ७ ताका भागहार जानना ।
बहुरि आगें पत्यो अर्घच्छेदनिका वर्गका गुणांकी सहनानी ऐसी छ छे छे ३ ताका गुणकार जानना । बहुरि इनमें तीन अर्धच्छेद घटाएं राजूके अर्धच्छेद होहि उं जाते नगच्छेणीके सातवें भाग राजू हैं । सो
सातके तीन अर्धच्छेद होहि ताकी सहनानी ऐसी छे छे छे ३ इहां
ऊपरि घटावनेकी सहनानी ऐसी जाननी बहुरि इन. अर्घच्छेदनिका प्रमाणविर्षे नंबूद्वीपकै अभ्यंतर पचास हजार योजन- अर वाह्य पचास हनार योजन मिलि एक लाख योजन प्रमाण जंबूद्वीप संबंधी अपंछेद्र कहा था सो इन लाख योजननिकै अर्धच्छेद घटाइए। तहां एक लाखके अर्धच्छेद तिनमें छह करिए तव सत्रह १७ वार भएं एक योजन उवरै । बहुरि एक योअनके अंगुल सात लाख अडसठि हजार तिनके अर्ध छेद करिए तब उगणीसवार भएं एक अंगुल उवरै । बहुरि राजुका अर्धच्छेद कीए प्रथम अर्घच्छेद मेरके मध्य पझ्या सो ऐसे सत्रह उगणीस एक अर्धच्छेद मिलि संख्यात अर्घ
द भए । बडुरि एक.अंगुल उवर्या था सो वह. सूच्यंगुल है । सो