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(५९) अंक ताका भाज्यविर्षे असंख्यात उवरे तीह करि साधिक एककों भाग दीजिए । इतनां गुण्यविय घट्या । ऐसे करि अपनां साधिक एकका तीसरा भाग करि हीन पत्यका अर्ध छेदनिका असंख्यातवां भाग प्रमाण गुण्यको पत्यका अर्ध छेदनिका वर्ग अर तीन करि गुणें जो प्रमाण होह इतने सर्व द्वीपसमुद्र हैं जिनकी सहनानि ऐसे छे छे छे ३ इहां अधिक ततीय भाग घटावनेकी सइनानी ऐसी, जाननी । ( इनविर्षे आधे द्वीप भाधे समुद्र जानने) र ऐस द्वीप समुद्रनिकी संख्या कहि अब जाका अधिकार है ताको कथनवि जोडे है । जंबू-. द्वीप लाख योजनपपाण तासौं लाखयोजन रहै। तहां लवणसमुद्रका अभ्यंतर पटलत ड्योढलाख योजन पर लवण समुद्रविर्षे जाइ अर्ध प? है। ऐसें दो बहुरि ताका आधा लाख योजन भएं लवण समुद्रका अभ्यंतर तटौं पचास हजार योजन पैर जाइ अर्धच्छेद पडे है ऐसे दोइ अर्धछेद नाननें । बहुरि तहां एक जंबूदीपळू देहु ।
भावार्थ-दोय मध छेदनिविर्षे एक अर्घच्छेद तो लवण समुद्रका गिनना । भर एक अर्धविर्षे पचास हजार योजन जंबूद्वीपके मिलाएं लाख योजन होई सो इस मछेदकों जंबूद्वीपहीका गिननां ऐसे ए अर्धच्छेद कहे । बहुरि इन अर्धछेदनिविर्षे मादिके जंबू द्वीपादी पांच द्वीपसमुद्र संबंधी पांच अर्धछेद भर मेरुशलाका कहिए राजूको आधा करते प्रथम भर्घछेद कथा सो ऐसे ए छह अर्घच्छेद इहां भधिकार रूप ज्योतिषी विवनिका प्रमाण ल्यावनेंविर्षे उपयोगी कार्य कारी नाहीं जात तीन द्वीप समुद्रनिके किंगका प्रमाण जुवा ग्रहण करेंगे तातैं पांच मर्धच्छेद तो ए कार्यकारी नाहीं भर मेरुशलाका रूप प्रथम अर्ध-छेद विष कोई द्वीप समुद्र माया नाहीं तात सो कार्यकारी नाही ऐमें छह भयछेद आगँ घटावेंगे ॥ ३५८ ॥ कहां सो कहै है
तियहीणसेढिछेदणमेचो रज्जुच्छिक्षी हवे गच्छो । जगदीवच्छिदिणा छरूपजुत्तेण परिहीणो ॥ ३५९ ॥ .