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वीधीके बीच अंतरान है बरि वामें स्वकीय विच जो जो सर्पवितका प्रमाण योजना अडतालीस इकसठियां भाग सो मिला एकमो मतरिका इकसठियां भाग प्रमाण दिन दिन प्रति गानक्षेत्रका प्रमाण हो है। . भावार्थ:--पूर्वोक्त चार क्षेत्रका व्यासविष एकसी पौरासी पन करने की गली है। नहां प्रथम गली आ दुमरी गली दिप दोय योजनका अंतराल है ऐसे ही दोय दोय योजनका एक अंतराल जानना । बहुरि प्रथम गलीकी आदीत द्वितीय गलीकी आदि पर्यंत अंगाल जाननां ऐसे ही दिन दिन प्रति तात दुसरे दिन तिस प्रथम गली योजनका एक सौ सत्तरीका इकाठिवा भाग परै जाइ दुसरी गलीवित - गमन करें हैं। ऐसे दिन २ प्रति पैर पर गमन क्षेत्रका प्रमाण जाननां । बहुरि ऐसे ही चंद्रमाका चार क्षेत्र इकतीस हजार एक सी अठ्ठापन
____३११५८ योजन इकसठियां भाग प्रमाणता पथ व्यास पिण्ट माटो
चालीसका इकसठिवा भाग तामें घटाइ एक घाट चौदह १४का भाग दिएं पैंतीस योजन र दोईस चौदहका च्यारिस सत्ताईसवां भाग प्रमाण तौ वीथी वीथी विर्षे अंतराल हो हैं । यामें चंद्रविका प्रमाण 'मिलाए छत्तीस योजन भर एकसौ गुण्यासीका चारिस सत्ताईसा भाग प्रमाण दिन दिन प्रति गमन क्षेत्रका प्रमाण जाननां ॥३७७ ॥
ऐसे ल्याया लो दिन प्रति गमन प्रमाण ताको आश्रय करि मेहते मार्ग मार्ग प्रति अंतराल अर तिन मार्गनिका परिधिको कई हैं
सुरगिरिचंदनवीणं मग्गं पडिअंतरं च परिहिं च ।। दिणादित्तप्परिहीण खेवादो साइए कमसो ॥ ३७८ ॥ . सुरगिरिचंद्ररवीणां मागं प्रत्यंतरं च परिधिः च ॥ दिनतिन परिधीनां क्षेपात साधयेत क्रमश: ॥ ३७८॥