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________________ २७८] ॐ जैन-तत्त्व प्रकाश ॐ क्षमाशील पुरुष यह भी विचार करते हैं-अरे जीव ! तू ने नरक में यमों की यातना सहन की है और तिर्यञ्च अवस्था में चाबुक आदि की मार खाई है। यह मारने वाला उतनी कठोरता से वैसी मार नहीं मार रहा है । फिर क्यों घबराता है ? अगर समभाव से इस मार को सह लेगा तो सदा के लिए नरक-तिर्यश्च गति के दुःखों से छुटकारा मिल जायगा । अतएव क्रोधी की इस मार को शान्ति पूर्वक सहन कर लेने में ही मेरा कल्याण है। और भी सोचना चाहिए:-रात्रि के बिना दिन का ज्ञान नहीं होता । अमावस्या के घोर अन्धकार को देखकर ही लोग सूर्य के प्रकाश की महिमा समझते हैं। इसी प्रकार अगर यह क्रोधी न होता तो कैसे मालूम पड़ता कि तू क्षमावान् है ? वास्तव में यह क्रोधी ही तेरी प्रख्याति का कारण है । देख तो सही, जो दृष्टि मात्र से ही दूसरे को भस्म करने में समर्थ थे उन परमश्रमण भगवान् महावीर ने गुवालों की मार सहन की। तेजोलेश्या फैंक कर भस्म करने की इच्छा रखने वाले गोशालक पर शीतल लेश्या फैंक कर उसके प्राणों की रक्षा की। डंसने वाले चण्डकोशिक सर्प को धर्मबोध देकर आठवें स्वर्ग में पहुंचा दिया । और इन्द्रजालिया कहने वाले गौतम को अपना सर्वश्रेष्ठ शिष्य बनाया । परमपिता प्रभु महावीर का हमें भी अनुकरण करना चाहिए । अपकार करने वालों पर भी उपकार करना चाहिए । निबल तो वैर ले ही नहीं सकता । जो बलवान् होने के साथ क्षमावान् होता है, उसकी बलहारी है ! ऐसे समर्थ क्षमाशील पुरुष निर्वाण प्राप्त कर सकते हैं। सरोवर, पृथ्वी और पुष्प दुःख देने वाले को भी सुख ही देते हैं, क्षमाशील पुरुष को भी ऐसा ही होना चाहिए । उसे दूसरे के सुख में ही अपना सुख मानना चाहिए । सच्चा क्षमावान् किसी का बुरा नहीं चाहेगा, तो दूसरा उसका बुरा क्यों चाहेगा ? फिर भी जो जैसा करेगा वह वैसा फल पायगा। क्षमा का सुन्दर फल प्रत्यक्ष दिखलाई देता है । क्षमा से दोनों लोकों में सुख की प्राप्ति होती है । क्षमा के होने पर ही ज्ञानादि सद्गुण ठहरते हैं और पनपते हैं। उससे अनेक नवीन गुणों की प्राप्ति भी होती है। क्षमा संसार-सागर से तारने वाली नौका है । वह चिन्तामणि, कल्पवृक्ष, कामकुम्भ
SR No.010014
Book TitleJain Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherAmol Jain Gyanalaya
Publication Year1954
Total Pages887
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size96 MB
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