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________________ ® जैन तख प्रकाश m m ५२४ ५२६ - विषय पृष्ठ अनाभिग्रहिक मिथ्यात्व ४६३ आभिनिवेशिक मिथ्यात्व ४६७ सांशयिक मिथ्यात्व ४९८ अनाभोग मिथ्यात्व ४६६ लौकिक मिथ्यात्व ४६8 ३६३ पाखएड मत ५०३ लोकोत्तर मिथ्यात्व कुमावनिक मिथ्यात्व १२५ जिनवाणी से न्यून प्ररूपणा मिथ्यात्व जिनवाणी से अधिक प्ररूपणा मिथ्यात्व ५२६ जिनवाणी से विपरीत प्ररूपणा मिथ्यात्व ५२६ सात निहव ५४० धर्म को अधर्मश्रद्धना मिथ्यात्व ५४६ अधर्म को धर्म मानना , ५५० साधु को असाधु मानना , ५५१ असाधु को साधु मानना , ५५२ जीव को अजीव श्रद्धना , ५५३ अजीव को जीव मानना , ५५४ सन्मार्गको उन्मार्ग श्रद्धना मि०५५५ उन्मार्ग को सन्मार्ग श्रद्धना,, ५५७ रूपी को अरूपी श्रद्धना , ५५८ अरूपी को रूपी श्रद्धना मि० ५५८ अविनय मिथ्यात्व माशातना , प्रक्रिया , ___५६२ . विषय प्रकरण चौथा दिग्दर्शन ५६८ सम्यक्त्व ५६६ सम्यक्त्व के सात प्रकार ५७२ निश्चयसम्यक्त्व का लक्षण ५७६ व्यवहारसम्यक्त्व का लक्षण ५८० सम्यक्त्व के ६७ बोल ५८० श्रद्धान चार ५६० सम्यक्त्व के तीन लिंग ५८४ विनय दस शुद्धता तीन. ५८७ दूषण पाँच लक्षण पाँच भूषण पाँच यतना छह आगार छह भावना छह ६४० स्थानक छह ६४३ सम्यक्त्वी को हितशिक्षा ६५२ प्रकरण पाँचवाँ सागारधर्म-श्रावकाचार ६५८ श्रावक के इक्कीस गुण ६६२ श्रावक के इक्कीस लक्षण ६६९ श्रावक के बारह व्रत ६७४ पाँच अणुव्रत ६७४ स्थूल प्राणातिपातविरमण ६७४ , . , के पाँच अतिचार ६८५ ६२१ r
SR No.010014
Book TitleJain Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherAmol Jain Gyanalaya
Publication Year1954
Total Pages887
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size96 MB
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