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________________ .२८] * जैन तत्र प्रकाश पृष्ठ ७७८ - ७१४ विषय पृष्ठ ,, ,, के पाँच अतिचार ६६७ असत्य भाषण के मुख्य कारण ७०१ असत्य का फल सत्य का फल स्थूल अदत्तादान विरमण ७०५ स्थूल अदत्तादान विरमण के पाँच अतिचार ७०८ स्वार संतोष व्रत स्वदार संतोष व्रत के पाँच अतिचार ७१७ परिग्रह परिमाण व्रत - ७२३ परिग्रह परिमाण व्रत के पाँच अतिचार ७३१ तीन गुण व्रत ७३४ दिशापरिमाण व्रत ७३४ दिशावत के पाँच अतिचार ७३६ उपमोग परिभोग परिमाण ७३७ कॉईस अभक्ष्य ७४० उपभोगपरिभोगपरिमाणवत के अतिचार ७४७ पन्द्रह कर्मादान- ७४८ अनर्थ दंड विस्मण व्रत ७५१ अनर्थ दंड विरमण व्रत के अतिचार ७५६ चार शिक्षा व्रत ७५६ सामायिक व्रत ७६० सामायिक व्रत के अतिचार ७६७ विषय सामायिक का फल ७७४ देशावकासिक व्रत 998 सत्रह नियम ७७६ दया पालन व्रत १० प्रत्याख्यान ७७६ देशावकाशिक व्रत के पाँच अतिचार ७८४ पौषध व्रत ७८६ , के अठारह दोष ७६१ , के पाँच अतिचार ७६१ अतिथि संविभाग व्रत ७६४ अतिथि संविभाग व्रत के पाँच अतिचार ७६७ श्रावक की ग्यारह पडिमाएँ ८०० सच्चे श्रावक के लक्षण ८०३ प्रकरण छठा अंतिम शुद्धि ८.६ मृत्यु के सत्रह प्रकार ८०६ सागारी संथारा ८११ अनगारी संलेखना ८१४ संलेखना के पाँच अतिचार ६२१ संलेखना वाले की भावना ८२२ समाधिमरण संबंधी प्रश्नोत्तर ८३२ समाधि मरणस्थ के चार ध्यान ८३४ उपसंहर ८३६ अंतिम मंगल विज्ञप्ति ८४०
SR No.010014
Book TitleJain Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherAmol Jain Gyanalaya
Publication Year1954
Total Pages887
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size96 MB
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