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________________ २६ । . * जैन तरल प्रकाश । ४१२ विषय पाप तत्त्व प्रास्रव तत्त्व २५ क्रियाए: ४१४ ४१५ ३४६ संवर तत्त्व ४२६ mr ३५१ ४२८ mr ur ०. mmm ३६० ४३६ mr विषय पृष्ठ द्वितीय खराड प्रथम प्रकरण विषयप्रवेश धर्म की प्राप्ति ३४६ पुद्गलपरावर्तन मनुष्यभव आर्यक्षेत्र उत्तमकुल ३६२ दीर्घायु अविकल इन्द्रियाँ ३६७ नीरोग शरीर ३६८ सद्गुरु का समागम सद्वक्ता के २५ गुण शास्त्रश्रवण श्रोता के गुण যুর গান ३८२ धर्मस्पर्शना ३८६ द्वितीय प्रकरण सूत्रधर्म जीवतत्र का स्वरूप ३६४ जीव के भेद नास्कों के १४ भेद ३६७ तिर्यच के ४८ भेद ३६७ मनुष्यों के ३०३ भेद ४०४ ४४१ ३७२ ३७७ निर्जरा तत्व ४२८ बंध तत्व प्रकृतिबंध ४२८ स्थितिबन्ध अनुभागबन्ध प्रदेशबन्ध मोक्षतत्त्व ४३४ नौतत्व की चर्चा ४४० सात नय नौतच पर सात नय चार निक्षेप ४५७ नौ तत्वों पर चार निक्षेप चार प्रमाण प्रत्यक्ष प्रमाण अनुमान प्रमाण ४७३ आगम प्रमाण ४७५ उपमा प्रमाण ४७५ नौ तत्वों पर चार प्रमाण ४७६ लेश्या का यन्त्र ४८१ मोक्ष तत्व पर चार प्रमाण ४८२ चौदह गुणस्थानों का स्वरूप ४८२ ..प्रकरण तीसरा मिथ्यात्व ४६०. आमिग्रहिक मिथ्यात्व .४६२ '. ३१२ जीव तच पुण्य तेच
SR No.010014
Book TitleJain Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherAmol Jain Gyanalaya
Publication Year1954
Total Pages887
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size96 MB
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