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________________ विषय ANO ...२३५ २४२ २७१ আঁখি रत्नत्रय विषय इस अवसर्पिणी के बलदेव, उपाध्यायजी के २५ गुण वासुदेव, प्रतिवासुदेव द्वादशांग सूत्र . २२० वर्तमानकालीन कामदेव, द्वादस उपांग रुद्र, नारद ११२ चार छेदसूत्र उत्सर्पिणीकाल चार मूलसूत्र २४३ ऊर्ध्वलोक का वर्णन करणसत्तरी २४८ सिद्ध भगवान् का वर्णन १३० बारह भावनाएँ २४४ प्रकरण तीसरा चार अभिग्रह १३६ चरणसत्तरी २७३ प्राचार्य के ३६ गुण १४० दस श्रमणधर्म २७३ पाँच महाव्रत-भावनासहित १४० १७ प्रकार का संयम पंचाचार झान के आठ आचार आठ प्रभावना २६८ दर्शन के आठ आचार १४६ उपाध्यायजी की १६ उपमाएँ ३०२ चारित्र के आठ आचार १५२ प्रकरण पाँचवाँ तप के बारह आचार १६. साधु वीयाचार १८७ साधु के सत्ताईस गुण पाँच इन्द्रियनिग्रह बाईस परीषह जय ब्रह्मचर्य की नौ वाड़ अनाचीर्ण ३१७ चार कपायविजय २० असमाधि दोष छत्तीस गुणधारक श्राचार्य २०६ सबल दोष आचार्य की आठ सम्पदा २१० योगसंग्रह चीर विनय पाँच प्रकार के निग्रन्थ , ३२७. प्रकरणं चौथा , अवन्दनीय साधु ३३० उपाध्याय २१८ २१८ । साधु की ८४ उपमाएँ ,,३३२ शिक्षा के योग्य पात्र के लक्षणं २१८, साधु, की अन्य ३२ उपमाएँ ३३६. १६० १६८ 0.0.40: 0 ७ ० m2 ० MMMeraoke mmmmmmmmmmm.
SR No.010014
Book TitleJain Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherAmol Jain Gyanalaya
Publication Year1954
Total Pages887
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size96 MB
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